बंदर चढा है पेड पर...


बंदर चढ़ा है पेड़ पर करता टिली-लिली...
सुनिये दिनेश कुमार शुक्ल की एक और कविता. दिनेश जी की एक कविता आप यहां पहले भी सुन चुके हैं.


यहां प्ले को चटकाएं और कविता सुनें.

Comments

वाह , दिल खुश कर दिया...बहुत खूब। सीधे सरल शब्द और सरल प्रस्तुतिकरण ....जारी रखें।
पी छाछ हमने फूंक कर फिर जीभ क्यों जली!
शानदार
आज फिर ईसे सुना....क्या कहूं....फिर मजा आ गया..हर लाईन से बहुत पुख्ता बात कह रहे हैं, दिनेशजी की कोई और रचना हो तो उसे भी सुना दिजिऐ...अच्छा लगा।

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